ख़्वाहिश

 आइये आज  हम सब विचार करते है- एक समस्या पर। यह समस्या है  लगभग उन सब परिवारों  की  जिसमें माँ-बाप  बड़े ही प्यार से अपने बेटा-बेटी को पाल- पोषकर बड़ा करते हैं ,उनको पढ़ा लिखा कर योग्य बनाते हैं। साथ ही अपनी बढ़ती उम्र के साथ अपने बच्चों के सुंदर सपने पाले रहते हैं कि आगे  का समय उनका सुखद एहसास बनेगा। फिर उन बच्चों की धूमधाम  से शादी  करते हैं,बेटी तो अपने ससुराल को सजाने-सँवारने  चली जाती है और अब नयी खुशियों के साथ स्वागत होता है एक बहू का। अब हम आते है उस समस्या पर जिसपर हमने चर्चा शुरू की है :

अधिकांश घरों मे शिकायत होती है की सास बहू मे नहीं बन रही है और धीरे-धीरे यह कलह का रूप  ले लेता है। आखिर ऐसा क्यों होता है,गलती किसकी होती है? प्रभावित कौन-कौन होते है? क्या इसे टाला जा सकता है और परिवार को उस सुख और शुकून से जी लेने लायक आनन्दमय  बनाया  जा सकता है ? जिसकी माँ-बाप ने कल्पना की थी, इन्हीं  सब सवालों  और उनके मान्य निराकरण  पर क्रमवार इस मंच से चर्चा करते हैं।

आज बस इतना ही । फिर अगली बार ........

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