बेरोजगारी
बढ़ती आबादी और प्रौद्योगिकी के युग मे ना जाने हम कितने आगे निकल चुके हैं। लेकिन अभी व जहा रोजगारी की बात आती है वहा हम कही ना कही पीछे छुट जाते हैं। ध्यान देने योग्य बात यह है की आज भी कई लोग गरीबी से बुरी तरह जुँझ रहे हैं, किसी के पास खाने के लिये रोटी नही है,तो किसी के पास पहनने को कपड़े तक नही है,तो किसी के पास रहने के लिये मकान नही है, तो कई विभिन्न बीमारी से जुँझ रहे है और उसके पास ईलाज के लिये पैसे नही हैं। अब बात आती है क्या ये बेरोजगारी कम होगी,होगी तो कैसे कम होगी ? क्या सिर्फ सरकारी नौकरी ही रोजगार का जरिया हो सकती ? रोजगार करने के लिये ना सिर्फ हमारी सरकार को बेहतर प्रबन्ध की अवश्यकता है बल्कि हर उस व्यक्ति को एक बेहतरीन प्रबंधन की अवश्यकता है जो इस योग्य है की वो अपने बलभुते पर कोई काम कर सके जिससे उनका और लोगो का भी भला हो। हर एक व्यक्ति के अन्दर कला है जरुरत है तो उसे निखरने की ,ताकि कोई भी व्यक्ति बेरोजगार ना रहे। मुझे लगता है हम इसी तरह इस समस्या से निपट सकते हैं।
मेरे अनुसार बेरोजगारी में से बे शब्द बेकारी हटा दिया जाय तो वो रोजगारी बन जायेगा आप जैसा देखेंगे आपको शब्द वैसे ही दिखेंगे। जिसके पास हुनर है वो बेरोजगार नही है। अर्थात आपको सिर्फ़ विशेष ज्ञान की जरूरत है जो कि आपका बेकार न बैठने की अभिव्यक्ति ही ठीक कर सकती है । आप अगर बेरोजगारी को सरकारी नौकरी से तुलना करेंगे तो अलग बात है। पर मेरे अनुसार हर एक के पास रोजगार होता है।
जवाब देंहटाएंरोजगार का परिभाषा मेरे अनुसार है_
रो- रोज का काम
ज- जिंदादिली से
गा- गरल न मानते हुए
र- रम्यता से करे।
तो वो बेरोजगार हो ही नही सकता।