दस्तूर तोहफों का
ना जाने किसने बनाया तोहफों का दस्तूर बेचारा गरीब मिलने से कतराने लगा,आज के जमाने मे लोगों के प्रेम को हम गिफ्ट्स से तौलने लगे हैं,आखिर क्या यह सही है ? आजकल रिवाज़ बन चुका है कि अपना प्यार जताने के लिये गिफ्ट्स देना जरुरी है,क्या जो गिफ्ट्स नहीं देते उनके बीच कम प्यार है ? किसी का बर्थडे हो,ऐनिवर्सरी हो या कोई प्रोग्राम,गिफ्ट ले जाना एक रश्म जैसा बन गया है। लोग तो प्रोग्राम के बीतने के बाद पूछते भी हैं क्या गिफ्ट मिला ? मिला तो ठीक है गलती से जवाब उनके मन का नहीं मिला तो वो आपको जिसने गिफ्ट नहीं दिया उसे कंजूस और ना जाने क्या-क्या बना देंगे। लोग भी अपनी इज्जत पर ना आ जाये इस कारण अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिये लेन-देन का सिलसिला जारी रखते हैं।
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