मानसिकता

कितनी अजीब मानसिकता है ना कुछ लोगो कि बेचारा एक गरीब बच्चा अपने पेट भरने के लिये कुछ करता है तो लोग उसे बाल मजदूरी कहते है वहीं दूसरी ओर किसी अमीरजादे का बच्चा कोई काम करे तो लोग उसे हुनर का नाम देते है ,जबकि दोनो ही काम करते हैं लेकिन फर्क बस इतना है कि एक बेचारा अपनी लाचारी के कारण अपना पेट भरने के लिये मजदूरी करता है वहीं दूसरा अपने पैसे कमाने और शौक  के लिये काम करता है और उसे बाल  कलाकार की संज्ञा  दी जाती है ,हालाकि उसे ऐसी कोई मजबूरी नही रहती। मेरे अनुसार तो भूखा मरने  से अच्छा अपने बल पर  कुछ कर के जीवित रहना ज्यादा सही है। एक ओर गरीब  का बच्चा खाने के लिये परेशान  है लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि अमीरों के बच्चे खेलने के लिये परेशान हैं,ना जाने कब बदलेगी ये मानसिकता ना जाने कब बदलेगी हमारी सोच! इस मामले में एक बेहतर विकास और बदलाव की कामना करते हुए बस इतना ही...... 

टिप्पणियाँ